Mannato Ka Shivalay : “मन्नतों का शिवालय” इस प्राचीन और पवित्र मंदिर में नंगे पांव दौड़ ने लगते है भक्त !
रांची के जिस शिवालय की आप बात कर रहे हैं, वह संभवतः पहाड़ी मंदिर है, जो झारखंड की राजधानी रांची के दिल में स्थित है। इस मंदिर को लेकर स्थानीय मान्यता है कि यहां भगवान शिव के दर्शन मात्र से हर मनोकामना पूरी होती है और लोग नंगे पांव चढ़ाई करके यहां दर्शन करने आते हैं।
Mannato Ka Shivalay पहाड़ी मंदिर, रांची – विशेषताएं और इतिहास
रामायण से जुड़ा इतिहास स्थानीय मान्यता है कि रामायण काल में भगवान राम और लक्ष्मण ने इसी क्षेत्र में विश्राम किया था। इस पहाड़ी को रामगिरि पर्वत कहा जाता था और शिवलिंग की स्थापना स्वयं भगवान राम ने की थी। हालांकि ऐतिहासिक रूप से इस बात की पुष्टि नहीं है, परंतु धार्मिक आस्था बहुत गहरी है।
Mannato Ka Shivalay मंदिर की खास बातें
- Mannato Ka Shivalay यह मंदिर 2,140 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को करीब 468 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। शिवरात्रि और सावन के महीने में यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु नंगे पांव दर्शन के लिए पहुंचते हैं। पहाड़ी मंदिर को “मन्नतों का शिवालय” कहा जाता है, जहां लोग जलाभिषेक के साथ अपनी इच्छाएं पूर्ण होने की प्रार्थना करते हैं।
स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ाव Mannato Ka Shivalay
- इस मंदिर का एक और ऐतिहासिक महत्व है—स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान इस पहाड़ी मंदिर पर अंग्रेजों द्वारा फांसी देने की जगह बनाई गई थी। बाद में स्वतंत्रता के बाद यहां राष्ट्रीय ध्वज भी फहराया गया, जो इसे झारखंड का एकमात्र ऐसा मंदिर बनाता है जहां हर 15 अगस्त और 26 जनवरी को तिरंगा लहराया जाता है।
क्यों दौड़ पड़ते हैं लोग नंगे पांव?
- माना जाता है कि भगवान शिव की इस प्राचीन और पवित्र नगरी में नंगे पांव आकर दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। लोग खासकर संतान प्राप्ति, रोग निवारण, नौकरी, विवाह आदि की मन्नतें मांगने आते हैं।
स्थान: पहाड़ी मंदिर, रांची, झारखंड।
पौराणिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- यह शिवलिंग रूप में स्थित मंदिर लगभग 2140 फीट की ऊँचाई पर उच्चतम बिंदु पर स्थित है और इसे 468 सीढ़ियां चढ़कर पहुँचा जा सकता है। मंदिर की पौराणिक मान्यता है कि यह स्थल रामायण काल से जुड़ा है—स्थानीय आस्था के अनुसार भगवान राम-लक्ष्मण ने इसी पहाड़ी पर विश्राम किया और रामगिरि के रूप में यह स्थल प्रसिद्ध हुआ।
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