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MODI: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कांग्रेस कभी देवभूमि से कोई लेंना  देना  नहीं था 

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MODI: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने कभी देवभूमि का हित नहीं देखा। उनके लिए उत्तराखंड सिर्फ फोटो लेने का स्थान था।

MODI: देवभूमि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद को देवभूमि का सेवक बताते हुए कहा कि दशकों तक पहाड़ों, खासकर उत्तराखंड की उपेक्षा हुई थी। कांग्रेस सरकारों ने देवभूमि के हित को कभी नहीं देखा। उनके लिए उत्तराखंड सिर्फ फोटो लेने का स्थान था। ऐसा नहीं है कि पहले देश का सामर्थ्य या संसाधन कम था। लेकिन सत्ता में बैठे लोगों के विजन और इच्छाशक्ति में कमी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने अमर उजाला को दिए गए एक विशेष साक्षात्कार में यह कहा। साक्षात्कार के महत्वपूर्ण हिस्से प्रस्तुत हैं..।


मैंने पहले अध्यात्मिक उत्सुक और फिर भाजपा कार्यकर्ता के रूप में उत्तराखंड में काफी समय बिताया है। पहाड़ ने स्थानीय लोगों के साथ संघर्ष किया है। इसलिए मैं उत्तराखंड को बहुत संवेदनशील मानता हूँ। जब बात पहाड़ों की है, तो ये एक दिन में पैदा हुई समस्याएं नहीं हैं। दशकों तक पहाड़ों को अनदेखा किया गया है। कांग्रेस सरकारों के लिए उत्तराखंड सिर्फ फोटो खिंचवाने की जगह थी, इसलिए इसके निवासियों को एक अलग राज्य की मांग करनी पड़ी।

MODI: अटलजी के शासनकाल में उत्तराखंड

भाजपा सरकार ने अटलजी के शासनकाल में उत्तराखंड को एक अलग राज्य बनाया था जिसका ध्यान विकास पर होगा। लेकिन उसके बाद कांग्रेस राज्य में भी बार-बार आती रही और केंद्र में भी काफी समय रही। कांग्रेस को स्थानीय लोगों के विकास का कोई लक्ष्य नहीं है। देवभूमि को विकसित करने का एक बड़ा लक्ष्य हमारी सरकार के पास है। हमने हर क्षेत्र (पहाड़, प्रकृति, पर्यावरण, पानी, पर्यटन) पर बहुत ध्यान दिया है। यहां हम निवेश, उच्च शिक्षा, कनेक्टिविटी और रोजगार के अवसरों पर फोकस कर रहे हैं। यही उद्देश्य दिसंबर, 2023 में उत्तराखंड इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन भी था।


अवसरों की कमी उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों से युवाओं के पलायन का मुख्य कारण थी। यहाँ हम निरंतर अवसर खोज रहे हैं। नए शिक्षण संस्थान बना रहे हैं, ताकि दूर नहीं जाना पड़े। पहाड़ में ही शिक्षा के अवसर मिलेंगे. पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, हरिद्वार के मेडिकल कॉलेज, देवप्रयाग का संस्कृत महाविद्यालय, पीएमश्री स्कूल और एम्स का सैटेलाइट सेंटर ऊधम सिंह नगर में होगा। मानसखंड मंदिरमाला मिशन पर्यटन और रोजगार के लाखों अवसरों को जन्म देगा। इन्फ्रास्ट्रक्चर और होम स्टे के प्रोजेक्ट भी रोजगार पैदा कर रहे हैं।

सुदूर पहाड़ों तक हवाई कनेक्टिविटी पिछले छ वर्षों में बढ़ी है। यात्रियों और श्रद्धालुओं के लिए चार धाम में हेलीपैड उपलब्ध हैं, लेकिन सड़क मार्ग अभी भी कठिन है। कब तक पहाड़ों तक रेलवे लाइन और योजनाएं पूरी होंगी?
10 वर्षों में हमारी सरकार के प्रयासों से उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश में कनेक्टिविटी बढ़ी है। सरकार ने अब मानस खंड के तीर्थस्थलों जैसे आदि कैलाश और ओम पर्वतों को देखने के लिए भी हेलिकॉप्टर सेवाएं शुरू की हैं।

पिथौरागढ़ को हवाई सेवाएं मिल गई हैं। बेहतर कनेक्टिविटी और ऑनलाइन सुविधाओं की वजह से पर्यटन और तीर्थाटन में भी लोगों का रुझान बढ़ा है। यह भी सही है कि उत्तराखंड में विकास कार्यों को भारी प्राकृतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए, भाजपा सरकार उत्तराखंड को विकसित करने के लिए सिर्फ सड़कों और हाईवे बनाने की दृष्टि से नहीं देख रही है। हम वैकल्पिक परिवहन साधनों पर भी काम कर रहे हैं, जो विकास के साथ जुड़े हुए हैं।

हम हेली सुविधाओं के अलावा संवेदनशील क्षेत्रों में रोपवे जैसे विकल्पों का भी निर्माण कर रहे हैं। रोप-वे बनाने से केदारनाथ, हेमकुंड साहिब और यमुनोत्री में बहुत सुविधा होगी। कर्णप्रयाग-ऋषिकेश खंड पर रेलवे लाइन का काम पूरा होने के बाद बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम तक पहुंचना आसान हो जाएगा। 700 करोड़ रुपये की लागत से देहरादून में झाझड़ा-आशारोड़ी लिंक रोड का निर्माण होगा। पहले देश के पास संसाधनों या सामर्थ्य की कमी नहीं थी। सत्ताधारियों की इच्छाशक्ति और विजन में कमी थी।

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