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Review: कपिल की कॉमेडी दुकान, जो दूसरे एपिसोड में ही खत्म हो गई,

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Review: नेटफ्लिक्स को अपनी ओरिजनल और भाड़े पर ली गई फिल्मों के प्रचार के लिए लंबे समय से हिंदी में एक ऐसा शो चाहिए था जो हर हफ्ते के आखिर में दिखाया जा सकता था. कपिल शर्मा को पिछले हफ्ते फिल्म “एनिमल” के प्रचार में लगाया गया, जबकि अगले हफ्ते वह फिल्म “चमकीला” का प्रचार करने के लिए लगाया गया

‘द ग्रेट इंडियन कपिल शो’, लगभग पचास मिनट का है, लेकिन इसमें कोई कॉमेडी नहीं है। रोहित शर्मा को देखकर लगता है कि उन्हें शो में जबर्दस्ती डाल दिया गया है, और इस बार, शो का विषय पहले एपिसोड से भी हल्का है, कपिल शर्मा भी भेष बदलकर लोगों को हंसा रहे हैं। यकीन नहीं, लेकिन एक ही एपिसोड में तीन अलग-अलग गेटअप बदलने का काम सुनील ग्रोवर ने किया है, जो शो में देखने लायक है।

Review: गोद लिए कलाकारों की प्रस्तुति!

नेटफ्लिक्स ने “द ग्रेट इंडियन कपिल शो” को अपने ओटीटी पर उतारा है ताकि भारत के छोटे शहरों तक पहुंच बढ़ाई जा सके और दुनिया भर में हिंदुस्तान के लोगों को हर हफ्ते कुछ नया दे सके। कपिल ने टेलीविजन पर अपनी जमी जमाई दुकान छोड़ दी है और ओटीटी पर चला गया है। जब शो उनकी कंपनी को मिल गया, तो वे भी गायब हो गए, और बाकी कलाकारों ने खुद कैमरे के सामने बताया कि नेटफ्लिक्स ने उनसे शादी कर ली है।

दर्शकों को हर शनिवार की शाम ये शो देखने की एक अलग मजबूरी है। किस्से और कॉमेडी के चलते कपिल शर्मा का नाम मशहूर हो गया है। टेलीप्रॉम्प्टर की सुविधा शायद अवार्ड्स शो की तरह यहां नहीं है, जिससे कपिल अच्छी तरह से फंस जाते हैं। शीर्षक में भटकते हैं। चीयर गर्ल्स की एंट्री के बाद आपको कुछ नहीं कहना है। तो कभी-कभी वे “कंट्रियों” में खोए दिखते हैं। रणबीर कपूर और नीतू सिंह के किस्सों ने पहले एपिसोड में ‘द ग्रेट इंडियन कपिल शो’ को बचाया था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है।

Review: कहाँ रोहित शर्मा फंस गया?

बातचीत में रोहित शर्मा और श्रेयस अय्यर से कुछ तो जानकारी मिलती रहती है। लेकिन याद रखें कि ये एक टॉक शो नहीं है। नेटफ्लिक्स ने इसे एक कॉमेडी शो के रूप में बनाया है, और यह इतना फूहड़ है कि नेटफ्लिक्स को शो की शुरुआत में ही घोषणा करनी पड़ी। इस शो में रोहित शर्मा को देखकर ऐसा लगता है कि उनकी मार्केटिंग टीम ने उन्हें किसी समझौते के तहत यहां धकेल दिया है। वह बेचारा नहीं जानता कि कहां हंसना है और कहां रुकना है।

कैमरा उनके चेहरे पर छिपी हुई मुस्कान को नहीं देख सकता, और उनके भावों को देखकर लगता है कि वे अपने मन में कह रहे हैं, “कहां फंसा दिया यार!”यह शो इतना बेहूदा है कि दर्शकों को खुद पर भी तरस आ सकता है कि कपिल शर्मा के शो की टीआरपी टेलीविजन पर नहीं आई तो भला नेटफ्लिक्स से नया सब्सक्रिप्शन खरीदने की क्या जरूरत थी?

हंसी के पांच मिनट भी नहीं मिलते

जैसा कि मैंने शो के पहले एपिसोड की समीक्षा में भी कहा था, “द ग्रेट इंडियन कपिल शो” अपनी कमजोर पटकथा के चलते बहुत अच्छा काम कर रहा है। सोचिए कि एक पांच मिनट के शो को लिखने में दस लेखक लगे हों और हंसने के लिए पांच मिनट भी नहीं मिले हों। यह भी सोचने वाली बात है कि दर्शकों के सामने बैठे जूनियर कलाकारों को ठहाके लगाने में कितनी मेहनत करनी पड़ेगी। कुछ लोग चादर बिछाकर बैठे हुए दिखाई देते हैं।

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