Saurabh Shukla

Saurabh Shukla : गर्लफ्रेंड बनाने की इच्छा में थिएटर में शामिल:40 साल के करियर में सिर्फ एक पुरस्कार, जॉली LLB ने सौरभ शुक्ला को नई पहचान दी

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Saurabh Shukla : एक नाम जिसने फिल्मी दुनिया में एक विशिष्ट स्थान बनाया है। शानदार कॉमेडी और दमदार एक्टिंग के लिए जाना जाने वाले एक्टर सौरभ शुक्ला आज अपना 61वां जन्मदिन मना रहे हैं। सौरभ शुक्ला की एक्टिंग ने कई बार फिल्मों के प्रमुख अभिनेताओं पर भारी पड़े हैं। बर्फी और जॉली LLB जैसी फिल्मों में काम करके उन्होंने कॉमेडी को बढ़ा दिया है।

Saurabh Shukla के जीवन की कहानी बहुत दिलचस्प है। इन्होंने थिएटर में एक प्रेमिका खोजने की कोशिश की। वहीं इंडस्ट्री को ४० वर्षों के बाद केवल एक पुरस्कार मिला।
5 मार्च 1963 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में सौरभ शुक्ला का जन्म हुआ था। सौरभ के जन्म के दो साल बाद उनका परिवार दिल्ली चला गया। उनका पूरा बचपन दिल्ली में हुआ। सौरभ शुक्ला ने दिल्ली में स्कूल किया था और खालसा कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था।

1984 में सौरभ ने बचपन से ही एक्टिंग करने की इच्छा से थिएटर जॉइन किया। उन्होंने थिएटर में काम करते हुए ‘घासीराम कोतवाल’, ‘लुक बैक इन एंगर’ और ‘ए व्यू फ्रॉम द ब्रिज’ में काम किया।

थिएटर जॉइन करने का कारण थीं थिएटर खूबसूरत लड़कियां

इंटरव्यू के दौरान सौरभ शुक्ला ने थिएटर में काम करने का अपना उद्देश्य बताया। मैं थिएटर के सामने से अक्सर गुजरा करता था, उन्होंने कहा। लड़के अच्छे नहीं थे, लेकिन वहां बहुत सुंदर लड़कियां आती थीं। मैंने सोचा कि यहां मेरा चांस भी हो सकता है।

यही उनका थिएटर जॉइन करने का सबसे बड़ा कारण था, लेकिन वे फिर भी एक्टिंग में रुचि दिखाते थे। इसके बाद, उन्होंने सोचा कि इससे अच्छा स्थान नहीं हो सकता था। लल्लनटॉप के साथ एक पुराने इंटरव्यू में सौरभ शुक्ला ने खुद इस बात का खुलासा किया था। उनका कहना था कि मैं शुरू से ही प्रतिभावान महिलाओं से प्यार करता हूँ।

Saurabh Shukla को ‘बैंडिट क्वीन’ में कैसे शामिल किया गया था, इसकी पुष्टि हुई।

सौरभ की एक्टिंग से शेखर इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने उसे ‘बैंडिट क्वीन’ में एक विशिष्ट किरदार लिखवाया। सौरभ का पहला रोल फिल्म की कहानी में नहीं था। ‘बैंडिट क्वीन’ में काम करने के बाद सौरभ मुंबई चले गए। यहीं से उनका फिल्मी करियर था।

गैंगस्टर ‘कल्लू मामा’ का किरदार किया।जिससे मिली एक नई पहेचान

फिल्म ‘सत्या’ में सौरभ ने कल्लू मामा का किरदार निभाया था। यह रोल था जिसने सौरभ शुक्ला को बॉलीवुड में और ऑडियंस में ऐसी पहचान दी कि आज भी लोग उन्हें कल्लू मामा के नाम से ही जानते हैं। सौरभ की एक्टिंग को कल्लू मामा के रोल में बहुत पसंद किया गया।

Saurabh Shukla : “सत्या” में काम कैसे मिला?

Satya लेखक अनुराग कश्यप था। राम गोपाल वर्मा ने इस फिल्म को निर्देशित किया था। अनुराग ने राम गोपाल वर्मा से कहा कि उन्हें इस काम के लिए एक अतिरिक्त लेखक चाहिए। इसी के चलते उन्होंने सौरभ शुक्ला को बुलाया। सौरभ लिखना नहीं चाहते थे। उन्हें लगता था कि वे मना कर देंगे, लेकिन पहले सौरभ को फिल्म में एक रोल ऑफर किया। इसके बाद लिखने का प्रस्ताव दिया। सौरभ ने एक्टिंग का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।

क्योंकि वे सिर्फ राम गोपाल वर्मा से काम करना चाहते थे। उन्हें पता था कि एक्टिंग का प्रस्ताव भी छीन लिया जाएगा अगर वे इसे ठुकरा देंगे।

Saurabh Shukla ने कई फिल्मों में काम किया है, जैसे ‘हे राम’, ‘स्लमडॉग मिलेनियर’, ‘ये साली जिंदगी’, ‘बर्फी’, ‘जॉली एलएलबी’, ‘पीके’, ‘जॉली एलएलबी 2, ‘रेड’, ‘बाला’ और ‘छलांग’। सौरभ शुक्ला ने ज्यादातर फिल्मों में सपोर्टिंग एक्टर का किरदार निभाया है, लेकिन उन्होंने कई फिल्मों में पहला रोल भी किया है।

फिल्म ‘सत्या’ के बाद काम नहीं मिला

लल्लनटॉप को दिए गए एक इंटरव्यू में सौरभ शुक्ला ने कहा कि सत्या के बाद उनके पास काम नहीं था जो वे चाहते थे। मुझे दस वर्ष इंतजार करना पड़ा। मैं लोगों से बहुत प्यार करता था, लेकिन काम नहीं मिलता था। 10 साल मेरे लिए बहुत कठिन रहे हैं। Indian Express ने बताया कि सौरभ ने फिल्मों में काम करने के लिए पांच टीवी शो छोड़ दिए थे।

सत्या की सफलता मेरे लिए सही नहीं थी।

एक पुराने इंटरव्यू में सौरभ शुक्ला ने कहा कि सत्या कहने को तो मेरी सबसे सफल फिल्म थी, लेकिन सौरभ ने सत्या को अपने करियर का एक बड़ा बाधा मानते हैं। उसने कहा कि उस वक्त मुझे पता नहीं था कि एक एक्टर को सफलता के बाद क्या करना चाहिए। उनका कहना था कि जब एक्टर को पहली बार सफलता मिलती है, तो वह बहुत परेशान होता है।

उन्होंने कहा कि सत्या के बाद मैंने मारुति 800 कार खरीदी थी। मैं खुद को एक बड़ा कलाकार दिखाने के लिए अपने कर्मचारियों को लेकर चलता था। मैं उस समय स्पॉट बॉय, ड्राइवर, मैनेजर और मेकअप आर्टिस्ट को अपने साथ लेकर चलता था। मैं पांच लोगों को एक छोटी सी कार में ले जाता था। ये प्रक्रिया दो वर्ष तक जारी रही। एक दिन मुझे एहसास हुआ कि मैं इतने लोगों को एक छोटी सी कार में क्यों ले जाता हूँ। मुझे इससे कोई आराम नहीं है। सिर्फ खर्च अधिक है।

मैंने फैसला किया कि अब से मैं अकेले चलूँगा। सौरभ ने कहा कि उस दिन से वह कोई कर्मचारी नहीं रखता था। अब मैं अकेले हर जगह जाता हूँ। अपने उस निर्णय से मैं बहुत खुश हूँ।

फिल्म “बर्फी” में सबसे अधिक एंजॉय किया

सौरभ शुक्ला बताते हैं कि एक समय ऐसा आया था जब मैं एक्टिंग में रुचि खोने लगा था। उस समय मैंने फिल्म “बर्फी” देखी। मैं इस फिल्म को देखने के लिए बहुत उत्साहित था। रणबीर कपूर के साथ काम करना एक बहुत अच्छा अनुभव था।

बर्फी से मैंने फिर से एक्टिंग का आनंद लेना शुरू किया। “इस फिल्म के बाद ही मुझे “जॉली LLB” मिला,” उन्होंने कहा। सौरभ ने सोचा कि वह समय उनके लिए अच्छा था।

Saurabh Shukla की प्रेम कहानी फिल्म सत्या के सेट से शुरू हुई थी।

सौरभ शुक्ला की पत्नी बरनाली रे शुक्ला नाम है। बरनाली और सौरभ की प्रेम कहानी उनकी फिल्म ‘सत्या’ के सेट से शुरू हुई। सत्या में बरनाली असिस्टेंट डायरेक्टर थीं। दोनों की प्रेम कहानी यहीं से शुरू हुई। बरनाली रे और सौरभ शुक्ला की उम्र सात साल की है। बरनाली सौरभ से सात वर्ष छोटी हैं।

फिल्मों से ज्यादा थिएटर पसंद है

कई फिल्में बनाने के बावजूद आज भी सौरभ शुक्ला थिएटर को बहुत पसंद करते हैं। अब भी वह कई थिएटर्स के साथ काम करते हैं। साथ ही, सौरभ अभिनय भी करते हैं। सौरभ शुक्ला ने कहा कि कला की दोनों विधाएं उनके लिए समान हैं, क्योंकि वे थिएटर से प्यार करते हैं।

मैं कह सकता हूँ कि थिएटर मेरी आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकता, लेकिन इसमें काम करने से मुझे बहुत खुशी मिलती है। वहीं मेरे लिए फिल्में “ब्रेड एंड बटर” मिलती हैं।

Saurabh Shukla लिखते भी है

सौरभ शुक्ला का कहना है कि व्यवसाय में आने के बाद उन्होंने बहुत कुछ सीखा है। कुल मिलाकर, उन्हें लिखने का शौक शुरू से ही था। वो एक्टिंग के अलावा लेखन और निर्देशन भी करते हैं, लेकिन सौरभ का मानना है कि लेखन से उतना पैसा नहीं मिलता है जितना चाहिए। इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि वे एक्टिंग करना पसंद करते हैं।

सौरभ ने कहा कि एक्टिंग आपको हर तरह से सपोर्ट करेगी। मैं एक एक्टर के रूप में कह रहा हूँ।
सौरभ ने कहा कि एक एक्टर को बस सेट पर समय निकालकर पहुंचना चाहिए। वहां उसके लिए सब कुछ तैयार है। कोई समस्या नहीं है। इन सबके अलावा, एक्टर को सबसे अधिक भुगतान भी मिलता है।


सौरभ ने कहा कि जब मैं लिखने बैठता हूँ, तो कभी-कभी मुझे लगता है कि मैं इसे क्यों कर रहा हूँ, लेकिन फिर मुझे लगता है कि यह एक ही जिंदगी है। जीवन में जो कुछ मन में आता है, जो कुछ करने का मौका मिलता है, वह सब कर लेना चाहिए। “मैं सिर्फ खुद को संतुष्ट करना चाहता हूँ,” उन्होंने कहा।
एक इंटरव्यू में सौरभ शुक्ला ने बताया कि उन्हें मीठा खाने का बहुत शौक है। सर्दी के मौसम में मलाइयो उनकी पसंदीदा डिश है। बनारस में ये डिश बहुत प्रसिद्ध है।

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