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Say No To Patake Near Animals सड़क पर पटाखे फोड़ना सामान्य, पर भूखे डॉग्स को खाना खिलाना ‘समस्या’? समाज की सोच पर बड़ा सवाल

Say No To Patake Near Animals

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Say No To Patake Near Animals सड़क पर पटाखे फोड़ना सामान्य, पर भूखे डॉग्स को खाना खिलाना ‘समस्या’? समाज की सोच पर बड़ा सवाल

Say No To Patake Near Animals सड़क पर पटाखे फोड़ना लोगों को मंजूर, लेकिन स्ट्रीट डॉग्स को खाना खिलाने पर आपत्ति क्यों उठती है? यह स्टोरी बताती है कि असली समस्या लोग नहीं, जागरूकता की कमी है। त्योहारों पर लोग खुले रोड पर पटाखे फोड़ते हैं, जो डॉग्स और जानवरों के लिए खतरनाक और डरावना होता है। लेकिन यही लोग सड़क पर जानवरों को खाना खिलाने पर आपत्ति करते हैं। क्यों?

Say No To Patake Near Animals

दिवाली और दूसरे त्योहारों पर सड़कों पर पटाखे फोड़ना हमारे समाज में एक ‘मज़े का हिस्सा’ माना जाता है। भले ही उससे बुजुर्ग, बच्चे, मरीज और खासकर सड़क पर रहने वाले डॉग्स और जानवर डर के मारे कांपते हों, लेकिन बहुत से लोग इसे “कहां मना है? ये तो त्योहार है!” कहकर सही ठहराते हैं।

दिवाली या किसी भी त्योहार पर सड़कों पर लोग पटाखे फोड़ते हैं — खुले रोड, गली, पार्किंग, यहां तक कि ट्रैफिक के बीच में भी। इसे “जश्न” का हिस्सा मान लिया जाता है। लेकिन जब कोई उसी सड़क पर किसी भूखे डॉग या स्ट्रे एनिमल को खाना खिलाता है, तो तुरंत कहा जाता है — “यह मत करो, दिक्कत होती है।”

Say No To Patake Near Animals सवाल ये नहीं कि पटाखे फोड़ने दो या मत दो।
सवाल ये है — इंसानियत कब allow होगी?

लेकिन जब कोई इंसान उसी सड़क पर किसी भूखे डॉग को खाना खिलाने लगे, तो कुछ लोग तुरंत कह देते हैं —
“सड़क पर मत खिलाओ, समस्या करते हो!”
यही डबल स्टैंडर्ड आज ट्रेंडिंग बहस का विषय बन गया है।

पटाखों का असर — सबसे ज्यादा डरते हैं जानवर

पटाखे हम इंसानों के लिए मनोरंजन हो सकते हैं, लेकिन सड़क पर रहने वाले डॉग्स, बिल्लियों, गायों और पक्षियों के लिए यह सीधा डर, तनाव और खतरा है।

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यानि जश्न हमारे लिए, पर जानवरों के लिए यह डर, दर्द और survival का समय होता है।

Say No To Patake Near Animals असल दिक्कत क्या है?

सच ये है कि समस्या खाना खिलाने से नहीं, संवेदनशीलता की कमी से है।
लोग पटाखे फोड़कर ध्वनि और वायु प्रदूषण फैला रहे हैं — कोई कुछ नहीं कहता।
पर जब कोई भूखे जीव को खाना खिलाए, तो तुरंत कहा जाता है — “गंदगी होगी, डॉग एडिक्ट हो जाएंगे, बच्चे डरेंगे…”

यानि Noise Pollution चलेगा, लेकिन Compassion नहीं?

लेकिन real problem यही नहीं है — लोग feeding को love नहीं, nuisance मानने लगे हैं।

समस्या पटाखों की नहीं, feeding की भी नहीं —
समस्या mindset की है।

एक समाज का असली मापदंड यह नहीं कि वो त्योहार कैसे मनाता है —
बल्कि यह कि वह कमज़ोरों को कितनी इज्जत और करुणा देता है।

लेकिन खाना खिलाना समस्या क्यों?

अक्सर लोग कहते हैं —
“सड़क पर खाना मत खिलाओ, डॉग्स आदत बना लेंगे, बच्चों के पीछे भागेंगे…”

लेकिन असलियत यह है कि जो डॉग नियमित और safe जगह पर खाना खाते हैं, वे ज्यादा शांत और friendly बन जाते हैं।
समस्या feeding की नहीं, irresponsible feeding की है।
तय टाइम || तय स्थान || साफ-सफाई के साथ

यानी feeding से problem नहीं होती — ignorance से होती है।

त्योहार खुशी का समय है — दर्द और डर फैलाने का नहीं।
“Lights मनाओ — पर किसी जानवर की जिंदगी अंधेरे में मत डालो।”
पटाखे फोड़ने में कोई बुराई नहीं — लेकिन जानवरों के पास, उनके ऊपर या उनके बीच में मत फोड़ो।
और अगर कोई भूखे जानवर को खाना खिला रहा है — वो दुनिया बेहतर बनाने की कोशिश कर रहा है, परेशानी नहीं।



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