“SC का बड़ा आदेश: नसबंदी के बाद ही सड़कों पर लौटेंगे कुत्ते, खतरनाक रहेंगे शेल्टर में!”
सुप्रीम कोर्ट ने अब आवारा कुत्तों के मुद्दे पर पूरे देश के लिए एक (uniform) नियम बना दिया है।
मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं: “आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती: सड़क पर खिलाना बैन, बनेगा फीडिंग ज़ोन”
सुप्रीम कोर्ट (SC) के फैसले के प्रमुख बिंदु
- नसबंदी व टीकाकरण के बाद छोड़ा जाए
- पकड़े गए आवारा कुत्तों को नसबंदी और रेबीज़ टीकाकरण के बाद उन्हीं स्थानों पर छोड़ा जाएगा, जहाँ से उन्हें पकड़ा गया था।
- यह आदेश रेबीज़ संक्रमित, रेबीज़ संदिग्ध या आक्रामक कुत्तों पर लागू नहीं होगा। ऐसे कुत्तों को शेल्टर होम में ही रखा जाएगा।
- सड़क पर खाना खिलाने पर रोक
- अब सड़कों पर कुत्तों को खाना खिलाने की अनुमति नहीं होगी।
- नगर निगमों को निर्देश दिया गया है कि वे समर्पित भोजन क्षेत्र (Dedicated Feeding Zones) बनाएं।
- इन ज़ोनों में ही लोग आवारा कुत्तों को खाना खिला सकेंगे।
- नोटिस बोर्ड और कानूनी कार्रवाई
- भोजन क्षेत्रों के पास नोटिस बोर्ड लगाए जाएंगे, जिन पर स्पष्ट लिखा होगा कि कुत्तों को केवल वहीं खिलाया जा सकता है।
- सड़कों पर खिलाने पर पाए गए लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
- कुत्तों को गोद लेने का विकल्प
- पशु प्रेमी चाहें तो एमसीडी के सामने आवेदन देकर कुत्तों को गोद ले सकते हैं।
- पूरे देश पर लागू
- सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का दायरा पूरे भारत तक बढ़ा दिया है।
- सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस मामले में पक्षकार बनाया गया है।
- विभिन्न हाईकोर्ट्स में लंबित याचिकाएँ अब सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कर दी गई हैं।
- लोक सेवकों को सुरक्षा
- अगर किसी सरकारी कर्मचारी को कुत्तों के प्रबंधन से जुड़ा अपना कर्तव्य निभाने से रोका गया, तो रोकने वाले को उत्तरदायी ठहराया जाएगा।
रेबीज़ और कुत्तों के हमलों की घटनाओं को रोकना,
सड़कों पर अव्यवस्थित तरीके से कुत्तों को खाना खिलाने से बचना,
पशु प्रेमियों के अधिकार और कुत्तों की भलाई दोनों का संतुलन बनाना।
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