Shree Krishna Kubja Temple: त्वचा रोग मुक्ति मंदिर के दर्शन करेगी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
Shree Krishna Kubja Temple: मथुरा में बसा है श्रीकृष्ण कुब्जा मंदिर कई मायनों में बड़ा खास है। मान्यता है कि यहां दर्शन करने से त्वचा संबंधी हर रोग ठीक हो जाते हैं। आइए जानते हैं इससे जुड़ी दिलचस्प बातें। मथुरा आने वाले श्रद्धालु इस मंदिर में अवश्य दर्शन करते हैं और इसे “त्वचा रोग मुक्ति स्थल” मानकर पूजा करते हैं।
राष्ट्रपति के आने की सूचना के बाद शुक्रवार को डीएम चंद्रप्रकाश सिंह, एसएसपी श्लोक कुमार और नगर निगम के अधिकारी मंदिर की व्यवस्थाएं देखने पहुंचे। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को मंदिर की व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के निर्देश दिए और परिसर का सौंदर्यीकरण कराने को कहा है।
राष्ट्रपति के आने की सूचना के बाद शुक्रवार को डीएम चंद्रप्रकाश सिंह, एसएसपी श्लोक कुमार और नगर निगम के अधिकारी मंदिर की व्यवस्थाएं देखने पहुंचे। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को मंदिर की व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के निर्देश दिए और परिसर का सौंदर्यीकरण कराने को कहा है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 25 सितंबर को वृंदावन में श्रीबांकेबिहारी के दर्शन कर निधिवन और सुदामा कुटी जाएंगी। फिर मथुरा में कुब्ज कृष्णा मंदिर और श्रीकृष्ण जन्मभूमि जाएंगी। राष्ट्रपति के प्रस्तावित दौरे से पूर्व ही वृंदावन नगरी को छावनी में तब्दील कर दिया जाएगा। प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। संभावना जताई जा रही है कि राष्ट्रपति की अगुवानी के लिए केंद्र और प्रदेश के शीर्ष स्तर के नेता भी आ सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार राष्ट्रपति 25 सितंबर को सुबह 10 बजे वृंदावन पहुंचेंगी। अपने वृंदावन दौरे के दौरान वे श्रीबांकेबिहारी मंदिर, निधिवन, सुदामा कुटी तथा मथुरा स्थित कुब्ज कृष्णा मंदिर और श्रीकृष्ण जन्मभूमि के दर्शन करेंगी।
Shree Krishna Kubja Temple: कहानी और विशेषताएँ
मथुरा का श्रीकृष्ण-कुब्जा मंदिर अपनी अनोखी कथा और मान्यता के कारण बहुत खास है।
- कुब्जा की कथा (Kubja Legend)
भगवद पुराण की कथा के अनुसार, कुब्जा एक हँस्दा (hunchbacked) और कसेरा (maidservant) थी, जो कंस के दरबार में काम करती थी। एक दिन उसने कृष्ण को चंदन का लेप (sandalwood paste) अर्पित किया। उसकी भक्ति देखकर, कृष्ण ने उसका शरीर सीधा कर दिया, उसकी मुद्रा को ठीक किया और सौंदर्य व आत्म-सम्मान दोनों पुनर्स्थापित किया। - विशेष मान्यता: त्वचा रोगों से मुक्ति
इस मंदिर को लोग इस विश्वास के साथ देखते हैं कि यहाँ की पूजा-आराधना और भक्ति से त्वचा से जुड़े रोगों (skin diseases) में लाभ होता है। यह मान्यता कुब्जा की कहानी से प्रेरित है क्योंकि कथानुसार कुब्जा को सिर्फ भक्ति के चलते ही रूप और अवस्था में यह परिवर्तन हुआ। - मूर्ति की अनोखी स्थिति
इस मंदिर में भगवान कृष्ण की मूर्ति राधा के साथ नहीं बल्कि कुब्जा के साथ है, जो इस मंदिर को विशिष्ट बनाती है। यह दृश्य “भक्ति और उदारता” की कहानी को सामने लाता है कि दिव्य कृपा किसी स्थिति, रूप या सामाजिक मानकों की सीमा में नहीं बँधी होती। अधिकतर मंदिरों में कृष्ण के साथ राधा या गोपियों का चित्रण होता है, लेकिन यहाँ कुब्जा की उपस्थिति इसे अद्वितीय बनाती है। - प्राचीनता और वर्तमान स्थिति
मंदिर लगभग 500 वर्ष पुराना है। वर्तमान में यह पुनर्वास/restoration की प्रक्रिया में है क्योंकि प्रदूषण और प्राकृतिक समय-प्रभाव से मंदिर संरचना, मूर्तियाँ आदि क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
प्रशासन और अधिकारी कैसे व्यवस्था कर रहे हैं
- पुनरुद्धार अभियान (Restoration Campaigns)
स्थानीय धर्म-सेवी संस्थाएं और फ़ाउंडेशन जैसे Veda Sankalpa और Brijcare Foundation इस मंदिर को पुनः स्थापित करने के लिए अभियान चला रहे हैं। ऋण-दान (donations) से संरचनात्मक मरम्मत, मूर्तियों की देखभाल और परिसर की सफ़ाई आदि कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है। - भ्रष्टता / प्रदूषण नियंत्रण
मंदिर की स्थिति को बिगाड़ने वाले कारणों में प्रदूषण और पर्यावरणीय क्षय शामिल हैं। अधिकारी संभवतः मंदिर के आस-पास के क्षेत्र की सफाई, आसपास के घाटों और नालियों की सफ़ाई, यातायात नियंत्रण आदि की योजना बना रहे होंगे। (यह अनुमान है क्योंकि “प्रदूषण” की समस्या का उल्लेख है) - दर्शन-समय/प्रवेश बंद-खुला होना
अभी मंदिर बंद है पुनर्निर्माण के चलते, लेकिन आवश्यक होने पर विशेष अनुमति या नियोजित दर्शन की व्यवस्था की जा सकती है। अधिकारियों ने परिसर व मंदिर के संरचनात्मक हिस्सों की स्थिति का आकलन किया है। - धार्मिक एवं सांस्कृतिक संवेदनशीलता
इस तरह के धार्मिक स्थलों की मरम्मत/देखभाल करते समय धार्मिक रस्मों, मान्यताओं, और स्थानीय भक्ति भावनाओं का ध्यान रखा जा रहा है, ताकि विश्वासियों की भावना आहत न हो।
Shree Krishna Kubja Temple की स्थिति क्यों बिगाड़ रही है
श्रीकृष्ण-कुब्जा मंदिर की स्थिति बिगड़ने के पीछे कई कारण हैं, जो अक्सर पुराने धार्मिक स्थलों के लिए आम हैं। आइए विस्तार से समझें:
1️⃣ प्राकृतिक क्षय (Natural Wear & Tear)
- मंदिर लगभग 500 साल पुराना है।
- समय के साथ पत्थर, मूर्तियाँ, दीवारें और छत कमजोर हो रही हैं।
- वर्षा, उमस, धूप और तापमान परिवर्तन से पत्थर और रंग का क्षरण होता है।
2️⃣ पर्यावरणीय प्रदूषण (Environmental Pollution)
- मथुरा में बढ़ता यातायात और धुआँ, आसपास के नालों और पानी में गंदगी से मंदिर प्रभावित हो रहा है।
- प्रदूषण के कारण दीवारों और मूर्तियों पर काला परत/दमक कम होना देखा जा रहा है।
3️⃣ धार्मिक आयोजनों का दबाव (Crowd Pressure)
- मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ आती है, खासकर त्योहारों और विशेष अवसरों पर।
- लगातार चलने वाले लोगों के कदम, जल, फूल, रंग और दीपक से मंदिर के फर्श और संरचना पर दबाव पड़ता है।
4️⃣ अनुचित रखरखाव (Lack of Proper Maintenance)
- लंबे समय तक जीर्णोद्धार और संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया गया।
- मूर्तियों और दीवारों की सफाई या मरम्मत नियमित रूप से नहीं हुई।
5️⃣ प्राकृतिक आपदाएँ (Natural Disasters)
- वर्षा, बाढ़, आंधी या हल्की भूकंप जैसी घटनाएँ भी पुराने मंदिरों की संरचना को कमजोर करती हैं।
राष्ट्रपति द्वारा दर्शन के लिए क्या सुरक्षा और व्यवस्था तैयार की जा रही है।
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