Supreme Court Delhi : आवारा कुत्तों को सड़क पर क्यों खिलाते हो? सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा निवासी को फटकार लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा के एक व्यक्ति को सख्त फटकार लगाई है, जो आवारा कुत्तों को सड़कों पर खाना खिला रहा था। कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि –
“अपने घर में क्यों नहीं खिलाते? सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को खाना खिलाना दूसरों की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।”
क्या बताया सुप्रीम कोर्ट ने?
- सड़क और सार्वजनिक जगहों पर कुत्तों को खिलाने से वे उस जगह को अपना इलाका मान लेते हैं। इससे राहगीरों, बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरा बढ़ जाता है। आवारा कुत्तों के झुंड में आक्रामकता आने की आशंका होती है। सार्वजनिक सुरक्षा को खतरे में डालने का अधिकार किसी को नहीं है।
कोर्ट का निर्देश:
- कुत्तों को यदि खाना खिलाना है तो निजी संपत्ति (जैसे घर के अंदर) में खिलाएं। अथवा, स्थानीय प्रशासन द्वारा तय सुरक्षित जगहों पर ही खाना दिया जाए। पालतू न होते हुए भी जब कोई कुत्ता नियमित रूप से भोजन पाता है, तो वह उस व्यक्ति की जिम्मेदारी बन जाता है।
Supreme Court Delhi : मामला क्या था?
नोएडा निवासी एक शख्स ने अपने इलाके की सड़क पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाने की आदत बना ली थी। इससे स्थानीय लोग परेशान थे और कई घटनाओं के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।
Supreme Court Delhi नई दिल्ली:
नोएडा में आवारा कुत्तों को खाना खिलाने पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा – “अपने घर में क्यों नहीं खिलाते?” सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक जगहें केवल ‘बड़े दिल’ दिखाने वालों के लिए नहीं छोड़ी जा सकतीं। जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच ने कहा, “सड़कों पर जानवरों के लिए जगह बना दी जाए और इंसानों के लिए नहीं?”
याचिकाकर्ता ने शिकायत की थी कि नोएडा में उसे कुत्तों को खाना खिलाने से रोका जा रहा है, जबकि वह एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल्स, 2023 के तहत काम कर रहा है। इस पर कोर्ट ने कहा कि
“कुत्तों को खिलाना है तो अपने घर में खिलाइए, सड़कें पब्लिक के लिए होती हैं।”
याचिकाकर्ता के वकील का तर्क था कि नियम 20 के तहत कुत्तों को खाना खिलाने के लिए स्थान तय करना नोएडा अथॉरिटी की जिम्मेदारी है, जो ग्रेटर नोएडा में तो हो रहा है लेकिन नोएडा में नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सामाजिक जिम्मेदारी निभाने का मतलब दूसरों की सुरक्षा और सुविधा से समझौता करना नहीं है।
Supreme Court Delhi मुख्य बातें:
- कोर्ट ने कहा: पब्लिक प्लेस पर इंसानों की सुरक्षा पहले
- याचिकाकर्ता से सवाल: जानवरों को घर में क्यों नहीं खिलाते?
- नियम का हवाला: रूल 20 के तहत सरकार को फीडिंग जोन तय करने का निर्देश
- नोएडा में व्यवस्था नहीं, ग्रेटर नोएडा में लागू
Supreme Court Delhi जानवर और इंसान दोनों की सुरक्षा पर जोर:
हाई कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे आवारा कुत्तों और आम जनता दोनों की चिंताओं के प्रति संवेदनशील रहें। कोर्ट ने कहा कि सरकार की जिम्मेदारी है कि वह ऐसा समाधान निकाले जिससे जानवरों की देखभाल भी हो सके और लोगों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सके। हाई कोर्ट ने यह भी साफ कहा कि सिर्फ जानवरों की रक्षा या सिर्फ इंसानों की सुरक्षा को प्राथमिकता देना ठीक नहीं है—दोनों के बीच संतुलन बनाना जरूरी है।
अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया कि
- सड़क पर चलने वाले पैदल यात्रियों की सुरक्षा प्रभावित न हो।
- साथ ही आवारा जानवरों की देखभाल भी उपेक्षित न हो।
Supreme Court Delhi : “सरकार को दोनों तरफ देखना है—कुत्तों को भी बचाना है और लोगों को भी सुरक्षित रखना है।”
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