Tibetan Buddhist Institution : दलाई लामा का उत्तराधिकारी कौन होगा, आज यह एक राजनीतिक विवाद का मुद्दा है
दलाई लामा का उत्तराधिकारी कौन होगा, यह न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण सवाल है, बल्कि आज यह एक राजनीतिक विवाद का मुद्दा भी बन चुका है — खासकर चीन, भारत और अमेरिका जैसे देशों की भूमिका को लेकर। आइए इसे विस्तार से समझते हैंTibetan Buddhist Institution:
Tibetan Buddhist Institution : दलाई लामा की परंपरागत उत्तराधिकारी चयन प्रक्रिया क्या है?
- पुनर्जन्म की मान्यता (Reincarnation):
- तिब्बती बौद्ध परंपरा में यह माना जाता है कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी उनका पुनर्जन्म होगा।
- दलाई लामा की मृत्यु के बाद तिब्बती भिक्षु संकेतों, दृष्टांतों, दिव्य स्वप्नों आदि के आधार पर एक बच्चे की पहचान करते हैं।
- “गदेन फोडरंग” संस्था की भूमिका:
- यह संस्था दलाई लामा की धर्म-राजनीतिक विरासत संभालती है।
- यही संस्था उत्तराधिकारी की खोज और पुष्टि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- “गोल्डन अर्न (Golden Urn)” विवाद:
- चीन इस पद्धति को महत्व देता है, जिसमें एक लॉटरी सिस्टम से लामा का चयन किया जाता है।
- लेकिन दलाई लामा और तिब्बती लोग इसे “राजनीतिक हस्तक्षेप” मानते हैं।

Tibetan Buddhist Institution : चीन की आपत्ति और रणनीति क्या है?
- चीन की स्थिति:
- चीन दलाई लामा को एक “राजनीतिक विद्रोही” मानता है।
- वह दलाई लामा की सत्ता को मान्यता नहीं देता, बल्कि उसे अपने अधीन लाना चाहता है।
- चीन का दावा:
- चीन कहता है कि अगला दलाई लामा उसी के नियंत्रण में तिब्बत में जन्म लेगा और उसका चयन चीनी शासन के तहत होगा।
- “धार्मिक मामलों पर राज्य नियंत्रण”:
- चीन के कानून के अनुसार सभी धार्मिक पुनर्जन्मों की मान्यता तभी होगी जब वह सरकारी स्वीकृति से हो।
Tibetan Buddhist Institution : भारत की भूमिका क्या है?
- दलाई लामा का निवास:
- 1959 में जब दलाई लामा चीन से भागे, तो भारत ने उन्हें शरण दी।
- वह वर्तमान में धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) में रहते हैं, और तिब्बती निर्वासित सरकार भी यहीं है।
- भारत की रणनीति:
- भारत ने आधिकारिक रूप से तिब्बत को चीन का हिस्सा माना है, लेकिन दलाई लामा को सांस्कृतिक नेता के तौर पर सम्मान देता है।
- भारत के लिए यह मसला चीन के साथ सामरिक तनाव, विशेषकर लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
अमेरिका की भूमिका और दृष्टिकोण
- अमेरिकी नीति:
- अमेरिका दलाई लामा के धार्मिक अधिकारों का समर्थन करता है और “तिब्बत नीति एवं समर्थन अधिनियम 2020” पारित कर चुका है।
- इस कानून के तहत:
- अमेरिका ने स्पष्ट कहा है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन केवल तिब्बती बौद्धों द्वारा किया जाना चाहिए, न कि चीन द्वारा।
- यदि चीन इसमें हस्तक्षेप करता है तो अमेरिका प्रतिबंध लगा सकता है।
दलाई लामा ने खुद क्या कहा है?
- उन्होंने संकेत दिए हैं कि उनका पुनर्जन्म भारत में भी हो सकता है।
- यहां तक कि उन्होंने यह भी कहा है कि आवश्यक नहीं कि अगला दलाई लामा पुरुष हो — वह महिला भी हो सकती है।
- उन्होंने यह भी कहा है कि यदि तिब्बती जनता पुनर्जन्म की परंपरा नहीं चाहती, तो यह परंपरा यहीं समाप्त भी हो सकती है।
संघर्ष का केंद्रबिंदु
मुद्दा | चीन का रुख | तिब्बती/दलाई लामा का रुख | भारत-अमेरिका की भूमिका |
---|---|---|---|
चयन प्रक्रिया | सरकारी अनुमति से, गोल्डन अर्न से | पुनर्जन्म आधारित पारंपरिक खोज | तिब्बती धार्मिक स्वतंत्रता का समर्थन |
उत्तराधिकारी का स्थान | चीन के अधीन तिब्बत | कहीं भी हो सकता है (भारत भी) | अमेरिका इसे चीन से अलग देखता है |
राजनीति | धार्मिक नियंत्रण और वैचारिक प्रभुत्व | धार्मिक और सांस्कृतिक संरक्षण | रणनीतिक और मानवाधिकार हित |
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