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अंतरीक्ष में जाने वाले Subhanshu Shukla (शुभांशु शुक्ला) कौन हैं? “14 दिनों की यात्रा पर जा रहा हूं लेकिन मां के हाथ का स्वाद साथ लेकर जा रहा हूं” #ShubhanshuInSpace #Axiom4 #Ax4 #ProudIndianAstronaut #AxiomMission #ISS #SpaceScience #SpacePilot #HomeInSpace

Subhanshu Shukla

Subhanshu Shukla

अंतरीक्ष में जाने वाले Subhanshu Shukla (शुभांशु शुक्ला) कौन हैं? “14 दिनों की यात्रा पर जा रहा हूं लेकिन मां के हाथ का स्वाद साथ लेकर जा रहा हूं” यह भावना दर्शाती है कि भारत का पहला अंतरिक्ष यात्री (ISS पर) न सिर्फ वैज्ञानिक है, बल्कि एक संवेदनशील बेटा भी है।

शुभांशु शुक्ला (जन्म: 10 अक्टूबर 1985, लखनऊ) भारतीय वायु सेना (IAF) के ग्रुप कैप्टन हैं, जो टेस्ट पायलट के रूप में लगभग 2,000 घंटे का उड़ान अनुभव रखते हैं। वे तीन अन्य साथियों के साथ Gaganyaan मिशन के लिए चुने गए चार “व्योमाना” में से एक हैं । शुभांशु शुक्ला भारत के ऐसे दूसरे व्यक्ति बन गए हैं, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष पहुंचे हैं। उन्हें Axiom Mission-4 के लिए चुना गया है, जो NASA और ISRO की तरफ से आयोजित किया गया है।

कितनी है Subhanshu shukla की सैलरी?

Ambitionbox से मिली जानकारी के अनुसार भारतीय वायु सेना की ओर से ग्रुप-4 कैप्टन को 2,43,606 रुपये से लेकर 2,53,484 रुपये दिए जाते हैं। ये सैलरी सालाना 18 लाख रुपये से लेकर 65 लाख रुपये तक हो सकती है। इसी तरह 14 दिन के लिए उन्हें 118,292 रुपये दिए जाएंगे। लेकिन उन्हें NASA (National Aeronautics and Space Administration) और ISRO (Indian Space Research Organisation) की तरफ से कोई रकम नहीं दी जा रही है।

Subhanshu Shukla

शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास 

शुभांशु शुक्ला ऐसे दूसरे भारतीय नागरिक बने हैं, जो अंतरिक्ष में जाएंगे। इससे पहले साल 1984 राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में उड़ान भरी थी।  

प्रमुख उपलब्धियाँ Subhanshu shukla

व्यक्तिगत जीवन शुभांशु शुक्ला:

Subhanshu shukla क्यों महत्वपूर्ण?

  1. भारत की अंतरिक्ष यात्रा में नया अध्याय: ISS पर जाने वाले पहले भारतीय, राकेश शर्मा (1984) के बाद आइकन बने
  2. मानव स्पेसफ्लाइट में बड़ा कदम: Axiom–NASA–ISRO की साझेदारी से भारत ने वैश्विक स्पेसफ्लाइट सहयोग को मजबूती दी।
  3. युवा पीढ़ी को प्रेरणा: NDA में परीक्षा देने की कहानी और सफलता की यात्रा ने कई युवाओं को प्रेरित किया है।

🌐 क्यों यह अमेरिका और भारत के लिए महत्वपूर्ण है?

Subhanshu shukla वैज्ञानिक उद्देश्य (Objectives)

Ax‑4 मिशन पर शुभांशु शुक्ला कुल सात भारतीय डिजाइन किए गए माइक्रोग्रैविटी प्रयोग (experiments) को संचालित करेंगे। ये प्रयोग विशेष रूप से भारत के Gaganyaan मिशन और दीर्घकालिक अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए महत्वपूर्ण हैं:

  1. माइक्रोग्रैविटी में पौधों की खेती (स्पेस फार्मिंग)
    • मेथी और मूंग जैसे भारत के खाद्य फसलों की खेती पर शोध, बीज अंकुरण, विकास और आनुवंशिक परिवर्तन की जांच।
  2. माइक्रोग्रैविटी और विकिरण का माइक्रोएल्गी (Microalgae) पर प्रभाव
    • तीन प्रकार की एल्गी की वृद्धि, चयापचय और आनुवंशिक अभिव्यक्ति की तुलना अंतरिक्ष और पृथ्वी पर की जाएगी ।
  3. टार्डिग्रेड्स (Tardigrades) का अध्ययन
    • माइक्रोफ़ाॄणा जैसे “वाटर बीयर्स” के जीवित रहने, पुनरुद्धार और आनुवंशिक व्यवहार का अवलोकन ।
  4. इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले के साथ मानव इंटरैक्शन
    • माइक्रोग्रैविटी में आंखों की गतिविधि, फोकस क्षमता और कार्य प्रदर्शन पर पड़ने वाले प्रभावों का मूल्यांकन ।
  5. मांसपेशियों का पुनर्जनन (Muscle Regeneration)
    • मेटाबॉलिक सप्लीमेंट्स द्वारा माइक्रोग्रैविटी में मांसपेशियों की क्षतिपूर्ति की संभावना का अध्ययन ।
  6. सायनोबैक्टीरिया का अध्ययन
    • उज्जवल जीवित प्रणालियों (cyanobacteria) की वृद्धि और काम करने की क्षमता का परीक्षण; जीवन-समर्थन प्रणाली में उपयोग संबंधी शोध।
  7. खाद्य फसल बीजों पर प्रभाव (Food Crop Seeds)
    • विभिन्न फसल बीजों की विकास दर और उत्पादकता का मूल्यांकन, भविष्य की अन्तरिक्ष खेती हेतु।

🧪 इसके अतिरिक्त, मिशन पर एक Suite Ride नामक ग्लूकोज नियमन (गुर्दा) अध्ययन भी किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य मधुमेह अनुभव और स्वास्थ्य निगरानी को बेहतर बनाना है।

शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में जाने वाले पहले भारतीय बनेंगे। इसके पहले राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय थे। शुभांशु शुक्ला ने अपने संदेश में कहा, ’40 साल नमस्कार, मेरे प्यारे देशवासियों। क्या सफर था। 40 साल बाद हम एक बार फिर अंतरिक्ष में पहुंचे हैं और यह एक अद्भुत सफर था।’

🧑‍✈️ प्रशिक्षण (Training) Subhanshu shukla

शुभांशु शुक्ला ने Ax‑4 मिशन के लिए बहु-स्तरीय, गहन और अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण प्राप्त किया:

ये मिशन शुक्ला के लिए सिर्फ व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि भारत के मानव अंतरिक्ष अन्वेषण और वैज्ञानिक अनुसंधान की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। अगर आप किसी विशिष्ट प्रयोग (जैसे टारडिग्रेड्स या स्पाइस डिस्प्ले इंटरैक्शन) पर गहराई से चर्चा करना चाहें, तो मैं बेहद खुशी से विस्तार से बताऊंगा!

शुभांशु शुक्ला और घर का स्वाद:

“अंतरिक्ष में भी मां के हाथ का स्वाद” Subhanshu shukla

शुभांशु शुक्ला जब Axiom Mission 4 के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए रवाना हुए, तो वे अपने साथ कुछ खास भारतीय व्यंजन भी लेकर गए, जिनमें शामिल हैं:

🍛 वे क्या-क्या लेकर गए: Subhanshu shukla

  1. गाजर का हलवा
    – उत्तर भारत में शीतकालीन मिठाई, जो पोषण और स्वाद दोनों में भरपूर होती है।
  2. मूंग दाल का हलवा
    – ऊर्जा से भरपूर, देसी घी में बना पारंपरिक व्यंजन।
  3. आम का रस (मैंगो पल्प)
    – गर्मियों की मिठास और भारत का प्रसिद्ध स्वाद, जो उन्हें घर की याद दिलाएगा

क्या ये फूड्स माइक्रोग्रैविटी में खाए जा सकते हैं?

हां, इन्हें फ़्रीज़-ड्राय या पैक्ड सॉस/पेस्ट के रूप में ले जाया गया है ताकि माइक्रोग्रैविटी में उड़ते न रहें और आसानी से खाए जा सकें। इन्हें विशेष कंटेनरों में पैक किया जाता है जो स्पिल-प्रूफ और एयरटाइट होते हैं।


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